पुरी (एजेंसी)। ओडिशा के पुरी बीच पर
मंगलवार को पद्मश्री रेत कलाकार सुदर्शन
पटनायक ने दिवंगत दिग्गज अभिनेता
असरानी को एक शानदार श्रद्धांजलि दी।20
अक्टूबर को असरानी के निधन ने हास्य
जगत में एक खालीपन छोड़ दिया। उनकी
प्रतिष्ठित हंसी और संवाद, जैसे “आधे इधर
जाओ, आधे उधर जाओ, और बाकी हमारे
साथ आओ,” आज भी दर्शकों के दिलों में
बसे हैं। सुदर्शन पटनायक ने अपने सैंड आर्ट
इंस्टीट्ट के छात् यू रों के साथ मिलकर लगभग 4
से 5 टन रेत का उपयोग कर खास कृति बनाई।
यह रेत मूर्ति असरानी के हास्य आकर्षण और
भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को दर्शाती
है। ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, और ‘भूल
भुलैया’ जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने पीढ़ियों को हंसाया और यादगार लम्हेदिए। यह कलाकृति उस आनंद और हंसी का प्रतीक
है, जो असरानी ने लाखों प्रशंसकों को दी।
पटनायक ने कहा, “इस रेत कला के जरिए
मैं असरानी जी की असाधारण विरासत और
उनकी हंसी से भरी प्रस्तुतियों को सम्मान देना
चाहता था। उनके किरदार और संवाद हमारे
दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे, जैसे यह रेत पर
बना पैटर्न।”
यह कला न केवल उनकी स्मृति को
जीवंत करती है, बल्कि उनके प्रशंसकों
को उनकी फिल्मों के सुनहरे पलों को याद
करने का अवसर देती है। पुरी बीच पर यह
रेत मूर्ति पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच
चर्चा का केंद्र बनी। कई लोगों ने इसे देखकर
असरानी की फिल्मों के किस्से साझा किए।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “असरानी जी
की कॉमेडी ने हमें हमेशा हंसाया।