मेरठ (एनएफटी रिपोर्टर)। मेरठ कॉलेज, उत्तर भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में से एक है। इसकी स्थापना 15 जुलाई 1892 में केसरगंज मंडी में स्थित विद्यालय से हुई थी, जिसके प्राचार्य डब्लू के बोनोड थे, जिन्होंने 1892 से 1895 तक मेरठ कॉलेज के प्राचार्य पद को सुशोभित किया। 1892 में ही यह विद्यालय वर्तमान मेरठ कॉलेज परिसर स्थित हॉस्टल ऑफिस के सम्मुख आने वाली इंपीरियल बैंक की बिल्डिंग में ट्रांसफर हो गया था। यह इंपिरियल बैंक बिल्डिंग एवं इसके आसपास का परिसर तत्कालीन रामपुर इस्टेट के नियंत्रण में था, उन्हीं से बाद में यह लिया गया। प्रारंभ में केवल मेरठ कॉलेज कला संकाय के विषयों के साथ प्रारंभ हुआ था। यह कॉलेज अकादमिक उत्कृष्टता, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक योगदान की समृद्ध परंपरा रखता है। आरंभ में इसकी संबद्धता कलकत्ता विश्वविद्यालय से थी, फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं आगरा विश्वविद्यालय से और अब यह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से संबद्ध है।
मेरठ कॉलेज के मंत्री विवेक कुमार गर्ग ने बताया कि अपने शुरुआती दौर में कॉलेज में छात्र संख्या कम थी और विषय सीमित थे, लेकिन समय के साथ यह आकार और प्रतिष्ठा दोनों में बढ़ता गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, मेरठ कॉलेज ने विद्यार्थियों और शिक्षकों में राष्ट्रवादी विचारों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके कई छात्र और शिक्षक स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे। यह कॉलेज बौद्धिक विमर्श, सामाजिक सुधार और शिक्षा का केंद्र बन गया। मेरठ कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर सीमा पवार ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, कॉलेज ने आधारभूत ढांचे, पाठ्यक्रमों और छात्र संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की। यहां कला, विज्ञान, वाणिज्य, विधि और शिक्षा में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रम संचालित होते हैं। कॉलेज के शिक्षक उच्च कोटि के विद्वान रहे हैं और इसके पूर्व छात्रों ने शिक्षा, प्रशासन, राजनीति सहित अनेक क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त की है। कॉलेज ने नई तकनीक, नवाचार और कौशल विकास को अपनाकर आधुनिक समय की चुनौतियों के साथ खुद को ढाला है। वर्तमान सत्र से ही बैचलर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन एवं बीए एलएलबी जैसे कोर्स प्रारंभ हो रहे हैं। अपने गौरवशाली अतीत और प्रगतिशील वर्तमान के साथ मेरठ कॉलेज भविष्य के कर्णधारों को गढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।