बागपत(विनीतकौशिक) मानसिक स्वास्थ्य
पर समाज की चुप्पी अब टूट रही है। बागपत में
आज यह बदलाव दिखा जब जिला अस्पताल
परिसर में आयोजित कैम्प के एक कोने पर
जिलेभर से आए बच्चों की जांच हुई और दूसरे
कोने पर प्रमाण पत्र वितरित हुए।
आज स्वास्थ्य विभाग बागपत द्वारा जिला
संयुक्त चिकित्सालय परिसर में मानसिक
स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
किया गया। जिलाधिकारी अस्मिता लाल
की पहल पर जनपद में पहली बार मानसिक
स्वास्थ्य जांच का कैम्प आयोजित हुआ जिसमें
ग्रेटर नोएडा की गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी और
गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
की 22 विशेषज्ञों की टीम ने जिलेभर से आए
बच्चों की जांच की। यह पहल विश्व मानसिक
स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर से 10 नवंबर
तक) जागरूकता अभियान का हिस्सा है।
इस पहल को “बागपत मॉडल ऑफ़ इंटीग्रेटेड
मेंटल हेल्थ सपोर्ट” के रूप में विकसित किया
जा रहा है, जिसके तहत प्रशासन, चिकित्सा
संस्थान, विश्वविद्यालय और समाज—तीनों
मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक साझा
तंत्र बना रहे हैं। उद्देश्य यह है किकिसी भी बच्चे
या परिवार को अब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी
सेवाओं के लिए अपने ज़िले से बाहर न जाना
पड़े।
अब तक मानसिक विकलांगता के प्रमाण
पत्रों के लिए बागपत से रेफर होकर परिवारों को
मेरठ या दिल्ली जाना पड़ता था, जहाँ न केवल
खर्च बढ़ता था बल्कि असुविधा भी होती थी।
आज बागपत में पहली बार यह हुआ कि जांच भी
यहीं, प्रमाणपत्र भी यहीं। आठ स्टॉलों में मौजूद
विशेषज्ञ टीमों ने बच्चों का परीक्षण किया। कोई
बौद्धिक क्षमताओं की जांच कर रहा था तो कोई
भावनात्मक स्थिति का मूल्यांकन।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल स्वयं बच्चों
के बीच बैठीं, उनसे सहजता से बातें कीं और
उनकी आँखों में झाँककर उनके आत्मविश्वास
को महसूस किया। उन्होंने प्रत्येक बच्चे को यह
एहसास दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं, प्रशासन
उनके साथ है, उनके सपनों के साथ है। बच्चों
के परिजनों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि
“हर बच्चा अपने आप में एक अनोखी दुनिया
है। किसी में शब्दों की ताकत है, किसी में रंगों
की, किसी में संवेदना की।” उन्होंने माता-पिता
को भरोसा दिलाया कि बागपत प्रशासन का
उद्देश्य केवल प्रमाण पत्र देना नहीं, बल्कि इन
बच्चों के लिए एक सहयोगी और सम्मानजनक
माहौल बनाना है, जहाँ वे आत्म-सम्मान और
आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।
इस संवाद के दौरान माहौल भावनाओं से
भर गया। कई अभिभावकों ने पहली बार किसी
अधिकारी के सामने अपने दिल की बात कही
— किसी ने अपने बच्चे की प्रगति की कहानी
साझा की, तो किसी ने अपने संघर्ष का दर्द
बताया। जिलाधिकारी ने सबकी बातें धैर्य से सुनीं
और हर परिवार को यह आश्वासन दिया कि
प्रशासन विशेष सहायता की आवश्यकता वाले
सभी बच्चों के साथ है। इस शिविर की विशेषता
रही कि यहाँ केवल जांच नहीं हुई, बल्कि बच्चों
की आंतरिक क्षमताओं को समझने के लिए
तीन प्रमुख वैज्ञानिक परीक्षण किए गए जिसमें
01. समाधान आधारित परामर्श ऐसा परीक्षण
है जिसमें रोग के बजाय समाधान पर ध्यान दिया
जाता है। इस परीक्षण में बच्चे से उसकी कमी
या परेशानी नहीं, बल्कि उसकी ताकत और
संभावनाओं पर बात की जाती है। यह बच्चों में
आत्मविश्वास और आत्म-समझ को बढ़ाता
है। 02. बुद्धिमत्ता परीक्षण (मालिन स्केल)
भारतीय बच्चों के लिए विकसित एक बौद्धिक
परीक्षण है। यह बच्चे की बुद्धि, स्मृति, भाषा और
सोचने की गति को मापता है। इससे यह स्पष्ट
होता है कि बच्चा किन क्षेत्रों में सक्षम है और कहाँ
उसे सहायक शिक्षा या उपचार की आवश्यकता
है। यह परीक्षण विशेष रूप से ऑटिज़्म,
ADHD या लर्निंग डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों
की पहचान में अत्यंत उपयोगी है। 03. विनलैंड
सामाजिक परिपक्वता परीक्षण दिखाता है कि
बच्चा अपने दैनिक कार्य, सामाजिक व्यवहार
और आत्मनिर्भरता के स्तर पर कहाँ खड़ा है।