स्वास्थ्य

जिलाधिकारी को समस्या दिखी, समीक्षा हुई, आदेश जारी… ‘ बागपत फॉर एनिमल्स’ ऐप हुआ तैयार

बागपत में पशु कल्याण व्यवस्था को मजबूत बनाने और आपात स्थिति में त्वरित मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आज कलेक्ट्रेट कार्यालय में “बागपत फॉर एनिमल्स” एप का शुभारंभ किया गया।

 बागपत में पशु कल्याण व्यवस्था को मजबूत बनाने और आपात स्थिति में त्वरित मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आज कलेक्ट्रेट कार्यालय में “बागपत फॉर एनिमल्स” एप का शुभारंभ किया गया। जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने एप का औपचारिक उद्घाटन कर इसकी उपयोगिता का परीक्षण भी किया। यह एप प्रशासन और पशु कल्याण स्वयंसेवकों के संयुक्त प्रयास से तैयार किया गया है, जिसमें पूरे जनपद के पशु चिकित्सकों/ चिकित्सालयों और पंजीकृत पशु कल्याण स्वयंसेवकों का डेटा जोड़ा गया है। इस एप को राज्य युवा पुरस्कार विजेता अमन कुमार के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है जिसकी जिलाधिकारी ने बेहद प्रशंसा की। कुछ महीने पहले कई पशुओं की दुर्घटना आदि से जुड़ी ऐसी सूचनाएं संज्ञान में आई जिसमें असल मदद पहुँचने में देरी हुई। जिलाधिकारी ने समीक्षा की तो सामने आया कि किसी के पास डॉक्टर का सही नंबर नहीं था, किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि किस स्वयंसेवक को कॉल करें। सूचना इधर–उधर भटकती रही… और जब तक मदद पहुँची, देर हो चुकी थी। इस घटना ने जिले के प्रशासन को झकझोर दिया। जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने अपनी टीम से यही सवाल पूछा— “जब मदद करने वाले लोग इतने हैं, तो मदद पहुँच क्यों नहीं पा रही?” जवाब चौंकाने वाला था— समस्या यह नहीं थी किडॉक्टर या स्वयंसेवक कम हैं; समस्या यह थी कि जानकारी बिखरी हुई थी, समय पर सही व्यक्ति तक पहुँचती ही नहीं थी।

उसी रात जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा— “अब बागपत में किसी पशु की जान सिर्फ इसलिए नहीं जाएगी कि सूचना भटक गई।” और इसी संकल्प से जन्म हुआ— “बागपत फॉर एनिमल्स” एप का विचार। एक ऐसी डिजिटल व्यवस्था, जहाँ घायल पशु दिखते ही कोई भी व्यक्ति एक क्लिक में नजदीकी पशु चिकित्सकों से संपर्क कर सहायता पा सके। यह ऐप सिर्फ नवाचार नहीं है; यह कुछ बेजूबान पशुओं के लिए देर से आई मदद से उपजा एक शांत संकल्प है— अगली बार देरी नहीं होगी। उन असहाय पशुओं ने आज पूरे जिले में जान बचाने की एक डिजिटलक्रांतिशुरू करा दी है। मदद अब एक क्लिक कीदूरी पर है। जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि कई बार घायल पशुओं के लिए समय पर सूचना न मिलने से उपचार में देरी होती है। इस एप के माध्यम से जिले में पशु सहायता प्रणाली को एक मंच पर लाया गया है। उन्होंने बताया कि एप में हर चिकित्सक और स्वयंसेवक का संपर्क विवरण, लोकेशन और उपलब्धता की जानकारीदी गई है, जिससे किसी भी नागरिक को जरूरत पड़ने पर तुरंत मददमिल सकेगी। पशुओं के अधिकारों के लिए कार्यरत माय भारत स्वयंसेवक अमन कुमार ने घटनाओं के डेटा को इकट्ठा कर बताया कि सबसे बड़ी समस्या ‘अव्यवस्थित सूचना’ की थी। इसी युवा ने, अपनी पढ़ाई के साथ समय निकालकर, ऐप का प्रारंभिक खाका तैयार किया।

इसके बाद अमीर खान, गुलफ़सा राजपूत, नितिश भारद्वाज, संयम सिंह, शादाब, वरुण शर्मा, सागर तोमर सहित कई अन्य स्वयंसेवक जुड़ते गए—किसी ने डॉक्टरों के नंबर जुटाए, किसी ने लोकेशन मैप तैयार किए, किसी ने ऐप की टेस्टिंग की। इस तरह “बागपत फॉर एनिमल्स” नागरिकों और प्रशासन की साझेदारी से बना एक जीवंत, मनुष्यत्व से भरा मॉडल बना। एप लॉन्च होने के बादजिलाधिकारी ने खुद अपने मोबाइल से इसे संचालित कर एक पशु चिकित्सक से संपर्क किया और व्यवस्था की जांच की जिसमें संतोषजनक फीडबैक एवं व्यवस्थाएं दुरुस्तमिली। कॉल तुरंत जुड़ने पर उन्होंने अधिकारियों को एप की मॉनिटरिंग एवं समीक्षा हेतु आवश्यक निर्देश दिए। शिकायतों और तकनीकी समस्याओं को समय पर समाधान करना प्राथमिकता रहेगी। स्वयंसेवक अमीर खान ने बताया कि पहले आपस में जानकारी साझा करने के लिए अलग-अलग व्हाट्सऐप ग्रुप और फोन कॉल पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे समन्वय में दिक्कत होती थी। स्वयंसेविका गुलफ़सा राजपूत ने कहा कि एप की शुरुआत से अब एकीकृत सूचना प्रणाली तैयार हो गई है। स्वयंसेवक वरुण शर्मा ने कहा कि इससे समय की बचत होगी और फील्ड में काम करना आसान होगा। कई स्वयंसेवकों ने इस पहल को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कई बार सड़क पर घायल गाय या डॉगस को अस्पताल पहुँचाने में सही संसाधन जुटाने में देरी हो जाती थी, लकिे न अब यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।