भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सबसे बड़े रणनीतिकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर से अपनी सियासी चालों से सुर्खियां बटोर ली हैं। देश के तीन अहम राज्यों—बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु—में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए शाह ने अपनी चुनावी रणनीति का खुलासा किया है। खबरों के मुताबिक, वह इस महीने से ही इन तीनों राज्यों में हर महीने दो-दो दिन का दौरा करेंगे, जो विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। इस ऐलान ने न सिर्फ BJP कार्यकर्ताओं में जोश भरा है, बल्कि विपक्षी दलों में भी खलबली मचा दी है। आखिर क्या है शाह का यह मास्टरप्लान? और कैसे वह इन राज्यों में BJP की जड़ें मजबूत करना चाहते हैं? इस खबर में हम हर पहलू को विस्तार से समझते हैं, जो आपको इसे पढ़ने के लिए मजबूर कर देगा।
अमित शाह का यह प्लान कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। संसद सत्र खत्म होने के बाद से ही उनके इस मिशन की चर्चा शुरू हो गई थी। सूत्रों की मानें तो शाह का पहला दौरा 30 अप्रैल और 1 मई को बिहार से शुरू होगा। इसके बाद वह मई में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु का रुख करेंगे। इन दौरों का मकसद साफ है—पार्टी संगठन को मजबूत करना, कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरना और स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति को धार देना। बिहार में जहां BJP नीतीश कुमार की JDU के साथ गठबंधन में सत्ता में है, वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की TMC और तमिलनाडु में DMK की मजबूत पकड़ को तोड़ना उनके लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन शाह का इतिहास बताता है कि वह मुश्किल चुनौतियों को ही अपनी ताकत बनाते हैं।
बिहार में शाह की नजर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। सूत्रों के मुताबिक, वह बिहार में हर जिले के BJP नेताओं से मुलाकात करेंगे और पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करेंगे। बिहार में BJP ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 12 सीटें जीती थीं, लेकिन कई सीटों पर उनका प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा था। शाह अब उन कमजोर कड़ियों को मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए वह कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक सक्रिय करने और विपक्षी दलों—खासकर RJD और कांग्रेस—के खिलाफ मजबूत रणनीति बनाने पर जोर दे रहे हैं। बिहार के बाद उनका अगला लक्ष्य पश्चिम बंगाल है, जहां ममता बनर्जी की TMC को हराना BJP के लिए किसी सपने से कम नहीं है।
पश्चिम बंगाल में शाह का फोकस ग्रामीण इलाकों पर होगा। 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP ने 77 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई थी, लेकिन TMC का दबदबा तोड़ने में नाकाम रही थी। अब शाह हर महीने बंगाल के अलग-अलग जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करेंगे। उनकी रणनीति में बंगाल की सांस्कृतिक पहचान को BJP के हिंदुत्व के एजेंडे के साथ जोड़ना शामिल है। इसके अलावा, वह CAA और NRC जैसे मुद्दों को फिर से हवा दे सकते हैं, जो बंगाल में पहले भी BJP के लिए फायदेमंद रहे हैं। लेकिन TMC इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। ममता बनर्जी ने शाह के इस प्लान पर तंज कसते हुए कहा, "वे जितना चाहें बंगाल आएं, जनता उनके साथ नहीं है।"
तमिलनाडु में शाह का मिशन सबसे मुश्किल माना जा रहा है। दक्षिण भारत में BJP की पकड़ हमेशा से कमजोर रही है, और तमिलनाडु में DMK और AIADMK का दबदबा है। लेकिन शाह इस बार "मिशन साउथ" को कामयाब बनाने के लिए कमर कस चुके हैं। वह तमिलनाडु में BJP को AIADMK के साथ मजबूत गठबंधन में लाना चाहते हैं और स्थानीय मुद्दों को उठाकर जनता के बीच पैठ बनाना चाहते हैं। उनके दौरे में कोयंबटूर, चेन्नई और मदुरै जैसे बड़े शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों पर भी फोकस होगा। सूत्रों का कहना है कि शाह तमिलनाडु में हिंदू धार्मिक संगठनों के साथ भी संपर्क बढ़ाने की कोशिश करेंगे, ताकि BJP को सांस्कृतिक आधार मिल सके।
शाह की इस रणनीति को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "शाह बिहार में जितना चाहें आएं, जनता उनके झूठ से तंग आ चुकी है।" वहीं, TMC सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे "बेकार की कवायद" करार दिया। दूसरी ओर, BJP समर्थकों का मानना है कि शाह का यह कदम पार्टी को इन राज्यों में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। सोशल मीडिया पर भी इस खबर ने तूफान मचा दिया है। लोग शाह की रणनीति को "चाणक्य नीति" कह रहे हैं, तो कुछ इसे "चुनावी जुमलेबाजी" बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "शाह का प्लान गजब का है, लेकिन बंगाल में ममता दीदी आसानी से हार नहीं मानेंगी।"
इस रणनीति का असर आने वाले महीनों में दिखेगा, लेकिन अभी से यह साफ है कि शाह इन तीनों राज्यों को BJP का गढ़ बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। उनके दौरे न सिर्फ संगठन को मजबूत करेंगे, बल्कि स्थानीय नेताओं को भी एकजुट करने की कोशिश करेंगे। बिहार में नीतीश के साथ गठबंधन को और मजबूत करना, बंगाल में TMC के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाना और तमिलनाडु में नई जमीन तैयार करना—यह सब शाह के इस मास्टरप्लान का हिस्सा है। क्या यह रणनीति BJP को इन राज्यों में जीत दिलाएगी? या विपक्ष इसे नाकाम कर देगा? यह तो वक्त बताएगा।
फिलहाल, यह खबर政治 गलियारों से लेकर आम जनता तक चर्चा का विषय बन गई है। अगर आप देश की सियासत को समझना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि अमित शाह का यह प्लान कैसे काम करेगा, तो यह खबर आपके लिए है। आने वाले दिनों में इन दौरों से जुड़ी हर अपडेट पर नजर रहेगी, और हम आपके लिए हर जानकारी लाते रहेंगे। क्या यह BJP का ट्रंप कार्ड साबित होगा? जवाब के लिए बने रहें।