राजकरण

जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये का बजट

2027 में होने वाली जनगणना के लिए कैबिनेट ने दी 11718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी

कैबिनेट ने शुक्रवार को तीन महत्वपूर्ण फैसलों का मंजूरी दी। कैबिनेट ने जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला लिंकेज नीति में सुधार के लिए कोलसेटू नीति को भी मंजूरी दी है। सरकार ने खोपरा 2025 सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को भी नीतिगत मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जनगणना 2027 की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि विश्व का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभ्यास होगा। जनगणना 2027 अब तक की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद की 8वीं जनगणना होगी। जनगणना केंद्र का विषय है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के तहत इसे किया जाता है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। कोविड महामारी के कारण जनगणना 2021 आयोजित नहीं की जा सकी। इससे पहले 16 जून 2025 को जनगणना 2027 की राजपत्र अधिसूचना जारी की गई। जनगणना 2027 की अनुमानित लागत 11,718 करोड़ रुपये होगी केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जनगणना की संदर्भतिथि 1 मार्च 2027 को 00:00 बजे होगी। बर्फ से ढके क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 अक्तूबर 2026 को 00:00 बजे होगी। वैष्णव ने कहा, “जनगणना 2027 दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहले चरण में मकान सूचीकरण और आवास जनगणना (HLO) होगी। इसे अप्रैल से सितंबर 2026 तक अंजाम दिया जाएगा। दूसरे चरण में जनसंख्या की गिनती (PE) होगी। यह फरवरी 2027 से शुरू होगी।

बर्फ से ढके क्षेत्रों में सितंबर 2026 से शुरू होगी। 30 लाख लोग जनगणना को देंगे अंजाम कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जाति गणना को भी जनगणना 2027 में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार स्व-गणना का भी विकल्प प्रदान किया जाएगा। जनगणना-एकसेवा (CaaS) विभिन्न मंत्रालयों/ राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों को उपयोगकर्ता के अनुकूल, मशीन-पठनीय और कार्रवाई योग्य प्रारूप में डैशबोर्ड जैसी सुविधाओं के साथ डेटा उपलब्ध कराएगी। जनगणना के दौरान राष्ट्रव्यापी जागरूकता, समावेशी भागीदारी, अंतिम छोर तक जुड़ाव और जमीनी कार्यों के समर्थन के लिए लक्षित और व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाएगा। इस कार्य में लगभग 30 लाख जमीनी कार्यकर्ता शामिल होंगे और 1.02 करोड़ मानवदिवस का रोजगार सृजित होगा। कोयले से जुड़ी सुधार नीति को कैबिनेट की मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने ‘कोयला लिंकेज नीति में सुधार: कोलएसईटीयू’ को भी नीतिगत मंजूरी दी है। वैष्णव ने कहा, “भारत कोयले के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। 2020 में कोयले का वाणिज्यिक खनन शुरू हुआ, जिससे घरेलू कोयले की उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। भारत ने 2024-25 में पहली बार एक वर्ष में 1 अरब टन कोयले के उत्पादन का आंकड़ा पार किया। 2024-25 में कुल उत्पादन 1.048 अरब टन रहा।

खपत के प्रतिशत के रूप में आयात लगातार घट रहा है। 2024-25 में आयात में 7.9% की कमी आई, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 60,700 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई।” रेल-कोयला साझेदारी के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष रेलवे के जरिए 823 मिलियन टन कोयले का परिवहन किया गया। घरेलू बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है। क्या है कोयले से जुड़ा कोलसेटू और उसमें हुआ सुधार? कोयला लिंकेज नीति में सुधार वर्तमान नीति के अनुसार कोयला केवल अंतिम उपयोगकर्ताओं जैसे सीमेंट, इस्पात, स्पंज आयरन, एल्युमीनियम सेक्टर आदि को नीलामी के माध्यम से दिए जाते हैं। भारत में अब पर्याप्त घरेलू उत्पादन है। कैबिनेट ने आज सुधारों को मंजूरी दी है। यह सुधार 2016 की नीति के तहत एक नई विंडो जिसे कोलसेटू (CoalSETU) कहा जाता है में होगा। यह लिंकेज योजना कोयले की निर्बाध, कुशल और पारदर्शी उपयोग के लिए बनी है। सुधारों के तहत कोयला लिंकेज किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए नीलामी के माध्यम से प्रदान किए जा सकते हैं। CoalSETU में सुधार के साथ कोई भी घरेलू खरीदार लिंकेज नीलामी में भाग ले सकता है। कोयले का उपयोग स्वयं के उपभोग, निर्यात या कोयला धुलाई जैसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए बिना किसी अंतिम उपयोग प्रतिबंध के किया जा सकता है। कोयला लिंकेज धारक 50% तक मात्रा का निर्यात कर सकते हैं। ईंधन आपूर्ति समझौता अधिकतम 15 वर्षों तक का होगा। समूह की कंपनियों के बीच कोयला लिंकेज के लचीले उपयोग की अनुमति होगी।