राजकरण

मेरठ, आगरा, गोरखपुर और काशी में स्थापित हो हाईकोर्ट बेंच : लक्ष्मीकांत बाजपेयी

10,33,000 लंबित मुकदमों में 63 प्रतिशत से अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के

 राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने मेरठ में हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हाईकोर्ट की मांग 50 वर्ष पुरानी है, जो आबादी, क्षेत्रफल, 10,33,000 लंबित मुकदमों के आधार पर न्याय संगत मांग हैं, जिनमें 63 प्रतिशत से अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। 1986 में अटल बिहारी बाजपेयी ने भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने नाते इस मांग का समर्थन किया था। लक्ष्मीकांत ने राज्यसभा में कहा कि डा. सम्पूर्णानंद, नारायण दत्त तिवारी, रामनरेश यादव, बाबू बनारसी दास, मायावती के मुख्यमंत्रितत्व कार्यकाल में भी राज्य सरकार ने हाईकोर्ट बेंच का प्रस्ताव पारित किया था। 21 जुलाई 1986 को राज्यसभा में तत्कालीन विधि मंत्री हंसराज ने भी बेंच का समर्थन किया था। सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने नसीरुद्दीन बनाम स्टेट ट्रांसपोर्ट अपील ट्रिब्यूनल में 1997 AIR पृष्ठ 313 में यूपी हाईकोर्ट अमलगमेशन आर्डर 1948 के पैरा 7 व 14 में विस्तृत व्याख्या की है और कहा है कि इलाहाबाद में कोई स्थाईसीट नहीं, बल्कि इलाहाबाद व लखनऊ की सीट परिवर्तित की जा सकती है। विधि आयोग ने तो 7 अगस्त 2009 में तो सुप्रीम कोर्ट की चार बेंच की सिफारिश भी की थी। लक्ष्मीकांत ने राज्यसभा में कहा कि भारत सरकार ने देश के प्रत्येक जिले में 440 ई-फाइलिंग सेंटर बनाने का निर्णय लिया व बजट में 744 करोड़ रुपए की व्यवस्था कर दी। अन्य सभी राज्यों में ई-फाइलिंग सेंटर प्रारंभ हो गए हैं। प्रयागराज उच्च न्यायालय ने 23 अप्रैल 2023 को प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ई-फाइलिंग सेंटर स्थापित करने की सहमति भी दी थी और उस पर कार्य भी प्रारंभ हुआ, लेकिन अचानक 28 अक्टूबर 2023 को ई-फाइलिंग सेंटर स्थापित करने के अपने आदेश 23 अप्रैल 2023 को Kept in Abeyance रखने का आदेश जारी कर दिया। लक्ष्मीकांत ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का कोर्ट रूम में दिया गया आदेश किसी राज्य के हाईकोर्ट के प्रशासनिक आदेश से Kept in Abeyance रखा जा सकता है। यह सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारत सरकार के निर्णय के विरुद्ध यह अवैधानिक आदेश भी जारी कर दिया कि ई-फाइलिंग सेंटर से वाद केवल प्रयागराज बार में पंजीकृत वकील ही कर सकेंगे। जब मुम्बई हाईकोर्ट की 5वीं बेंच कोल्हापुर में दी जा सकती है। जब उत्तर प्रदेश में 2 लाख 40 हजार 928 किलोमीटर का क्षेत्र, 75 जिले, 18 मंडल, जनसंख्या 24 करोड़ और परिधि 890 वर्गकिलोमीटर व 10 लाख 33000 केस लंबित हैं। तो ऐसे में उत्तर प्रदेश में 50 साल से अधिक समय से लंबित हाईकोर्ट की मांग क्यों नहीं पूरी की जा सकती है। अब तो उत्तर प्रदेश में न्याय संगत तरीके से मेरठ, आगरा, गोरखपुर और काशी में चार बेंच मिलनी चाहिएं और प्रयागराज और लखनऊ हाईकोर्ट के क्षेत्रों का पुर्ननिर्धारण होना चाहिए।