वंदे मातरम
को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह
नहीं मिला। राज्यसभा में वंदे मातरम पर
चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता
सदन जेपी नड्डा ने यह बात कही। उन्होंने
कहा कि वंदे मातरम को जो सम्मान और
स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि इसके लिए उस समय के
शासक जिम्मेदार थे। जेपी नड्डा के बयान
पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा कि
क्या वर्ष 1937 में जवाहरलाल नेहरू देश
के प्रधानमंत्रीथे। इस पर जेपी नड्डा ने कहा
कि वे प्रधानमंत्री नहीं थे, लेकिन इंडियन
नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
नड्डा ने वंदे मातरम को दो अंतरों तक
सीमित किए जाने वाले प्रस्ताव का भी
जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में
कहा गया था, यह समिति ने अनुशंसा
की कि जहां भी राष्ट्रीय आयोजनों में वंदे
मातरम गाया जाए, वहां केवल पहले दो
अंतरे ही गाए जाएं। साथ ही आयोजकों
को पूरी स्वतंत्रता हो कि वे वंदे मातरम के
अतिरिक्त किसी भी आपत्ति रहित गीत
को-चाहे वह उसके साथ हो या उसकी
जगह-गाने का निर्णय स्वयं लें।
उन्होंने कहा कि इसीलिए मैं कहता हूं
किवंदे मातरम को वह सम्मान नहीं मिला
जो मिलना चाहिए था।
भाजपा सांसद जेपी नड्डा ने सदन में
कहा कि संविधान सभा के तीन वर्ष के
कार्यकाल में कुल 167 कार्यदिवस हुए,
लकिे न राष्ट्रीय गान पर औपचारिक रूप से
नौ मिनट से भी कम का समय दिया गया।
कई सदस्यों द्वारा बार-बार मांग उठाए जाने
के बावजूद, इस विषय पर विस्तृत चर्चा
की अनुमति नहीं दी गई।
उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर,
वर्ष 1937 को, मोहम्मद अली जिन्ना ने
लखनऊ सेशन में वंदे मातरम के खिलाफ
एक फतवा पास किया। जवाहरलाल
नेहरू ने इसका विरोध करने की बजाए
तुरंत वंदे मातरम को लेकर एक जांच
शुरू कर दी और 20 अक्टूबर को उन्होंने
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को एक पत्र लिखा
और स्वीकार किया कि वंदे मातरम की
पृष्ठभूमि मुस्लिम समुदाय को असहज या
परेशान कर सकती है।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने
जेपी नड्डा को टोकते हुए कहा कि आपके
नेता ने इसे खुद स्वीकार कियाथा। आपके
नेता उस समय की सरकार में शामिल थे।
जिन चीजों में आपकी सहभागिता थी,
आपके अध्यक्ष उसमें शामिल थे। उसी
बात को आप यहां पर नकार रहे हो।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि
यहां राज्यसभा में यह बहस वंदे मातरम
की 150वीं वर्षगांठ पर हो रही है या
जवाहरलाल नेहरू पर। राज्यसभा में
सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि अंग्रेज
वंदे मातरम से घबराते थे। उन्हें लगता था
कि यह भारतीयों को जागरूक कर रहा है।
वंदे मातरम की गूंज तमिलनाडु तक गूंजी।
तमिलनाडु में हुए आंदोलनों में वंदे मातरम
का गीत गाया गया। खुदीराम बोस जब
फांसी के फंदे पर चढ़े तो उनके आखिरी
शब्द थे ‘वंदे मातरम।’ जेपी नड्डा ने कहा
किवंदे मातरम हम सबको प्रेरणा देने वाला
और देश को एकता के साथ आगे बढ़ाने
वाला गीत है।