प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता
हरक सिंह रावत के कई ठिकानों पर छापेमारी चल रही है. वन घोटाला मामले में ईडी
ने हरक सिंह रावत के दिल्ली, चंडीगढ़ और उत्तराखंड में कई ठिकानों पर छापेमारी
की है. हरक सिंह रावत और उनके कुछ विभागीय अधिकारियों पर टाइगर सफारी परियोजना
के तहत कॉर्बेट पार्क के पाखरो रेंज में अवैध पेड़ काटने और निर्माण में शामिल
होने से संबंधित गंभीर आरोप लगे.
भारतीय वन सर्वेक्षण ने किया था दावा
बता दें कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि
पखरू बाघ सफारी के लिए 163 की अनुमति के खिलाफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
(सीटीआर) में 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे. हालांकि, राज्य
वन विभाग ने एफएसआई के इस दावे को खंडन किया था. इसके साथ ही राज्य वन
विभाग ने कहा था कि रिपोर्ट को अंतिम रूप से स्वीकार करने से पहले कुछ
तकनीकी मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है.
इससे पहले भी हो चुकी है जांच
इससे पहले भी हरक सिंह रावत से जुड़ी संपत्तियां ईडी अधिकारियों द्वारा
जांच के दायरे में आ चुकी हैं. इससे पहले उत्तराखंड सतर्कता टीम ने हरक
सिंह रावत से जुड़े छिद्दरवाला में एक पेट्रोल पंप और शंकरपुर की दून
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज संस्थान पर छापेमारी की थी. अगस्त, 2023 में
विजिलेंस विभाग ने भी हरक सिंह के खिलाफ कार्रवाई की थी.
राज्य सतर्कता प्रमुख ने कही थी यह बात
राज्य सतर्कता प्रमुख वी मुरुगेसन ने 30 अगस्त की कार्रवाई को लेकर कहा था
कि टीम ने दोनों स्थानों पर दस्तावेजों की जांच की है, जिसके बाद यह पता
चला है कि दोनों संपत्तियां कांग्रेस नेता और पूर्व वन मंत्री हरक सिंह
रावत की ही हैं.
राज्य सतर्कता प्रमुख वी मुरुगेसन ने यह भी बताया था कि जांच में पता चला
है कि दोनों निजी स्थानों पर लगाए गए दो जनरेटर सेट सरकारी पैसे से खरीदे
गए थे. इसके साथ ही उन्होंने पुष्टि की थी कि पेट्रोल पंप और शंकरपुर की
दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज संस्थान दोनो ही रावत के बेटे के हैं.