गोरखपुर (एजेंसी)। राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के
गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ
आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन
किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा
कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष
विश्वविद्यालय हमारी समृद्ध प्राचीन
परंपराओं का एक प्रभावशाली आधुनिक
केंद्र है। इसका उद्घाटन न केवल उत्तर
प्रदेश बल्कि पूरे देश में चिकित्सा शिक्षा
और चिकित्सासेवाओं के विकास में एक
उपलब्धि है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई
कि विश्वविद्यालय में विकसित उन्नत
सुविधाएं अब बड़ी संख्या में लोगों को
उपलब्ध हैं। इसविश्वविद्यालय से संबद्ध
लगभग 100 आयुष कॉलेज भी इसकी
उत्कृष्टता का लाभ उठा रहे हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सार्वजनिक
जीवन में लोगों की मदद करने के लिए
व्यक्ति को अपनी सुख-सुविधाओं को
त्यागना पड़ता है। उन्होंने जन कल्याण
के प्रति समर्पण के लिए मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ की सराहना की। उन्होंने
कहा कि उनके अथक प्रयासों के
परिणामस्वरूप क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा
और कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे का
विकास हुआ है।
उन्होंने प्रशासकों, डॉक्टरों और नर्सों
से जनप्रतिनिधियों द्वारा शुरू किए गए
कल्याणकारी उपायों को आगे बढ़ाने का
आग्रह किया।
उन्होंने सभी को सलाह दी
कि वे किसी भी पेशे में प्रवेश करते समय
खुद से किए गए वादे पर आत्मनिरीक्षण
करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक कहावत है,
‘स्वास्थ्य ही धन है।’ उन्होंने लोगों से खुद
को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हर कदम
उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि
यह 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र
बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
होगा। उन्होंने कहा कि योग उन लोगों
के लिए बहुत फायदेमंद है जो शारीरिक
परिश्रम कम करते हैं और बैठे रहते हैं।
उन्होंने लोगों को नियमित रूप से योग
करने की सलाह दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद, योग,
प्राकृतिक चिकित्सा और सिद्ध जैसी
प्राचीन भारतीय प्रणालियां समग्र और
सार्थक जीवन जीने के वैज्ञानिक तरीकों
कावर्णन करती हैं।
आयुर्वेद पर आधारित
हमारी प्राचीन जीवनशैली में हम संतुलित
आहार, जीवनशैली और विचारों पर
बहुत ध्यान देते हैं। आयुर्वेद हमारी
धरती से जुड़ा हुआ है। हमारे खेत और
जंगल औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों
का खजाना हैं। उन्होंने कहा कि आयुष
प्रणालियां विश्व समुदाय को भारत का
अनमोल उपहार हैं।
उन्होंने कहा कि आयुष पद्धतियों पर
आधारित चिकित्सा की लोकप्रियता
बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि महायोगी
गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय
आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता को और
बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे
विश्वविद्यालयों को इन पद्धतियों की
वैज्ञानिक स्वीकार्यता बढ़ाने में निर्णायक
भूमिका निभानी होगी।