विशेष साक्षात्कार

434 विमान, 10 हजार क्रू, फिर भी सेवा रद्द

फ्लाइट के रोस्टर में बदलाव के चलते देश की आधी उड़ानें संभालने वाली इंडिगो संकट में

देश की बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है। इसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ रहा है, जिन्हें लगातार उड़ानें रद्द होने और देरी की समस्या झेलनी पड़ रही है। पिछले कुछ दिनों में हालात इतने बिगड़ गए कि देश के 8 प्रमुख एयरपोर्ट्स पर 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं। इससे हजारों यात्री फंस गए और उनकी यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।

इंडिगो की उड़ानों में देरी और रद्दीकरण का असर हवाई किराए पर भी दिखाई दे रहा है। कई प्रमुख रूट्स पर टिकटों की कीमतें अचानक कई गुना बढ़ गई हैं, जिससे यात्रियों पर आर्थिक बोझ और बढ़ गया है। क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के दौरान बड़ी संख्या में यात्री यात्रा कर रहे हैं, ऐसे में इंडिगो की उड़ानों में गड़बड़ी ने और मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

कंपनी के पास देश का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट बेड़ा (434 विमान) है और यह रोजाना 2300 से अधिक उड़ानें संचालित करती है। घरेलू उड़ानों में इसका हिस्सा 60% से ज्यादा है। इंडिगो में 5456 पायलट, 10,212 केबिन क्रू और कुल 41 हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके बावजूद कंपनी क्रू की भारी कमी से जूझ रही है।

देशभर में उड़ानों में आई गड़बड़ी का सबसे ज्यादा असर बड़े शहरों में देखने को मिला। बेंगलुरु में 42, दिल्ली में 38, अहमदाबाद में 25, हैदराबाद में 19, इंदौर में 11, कोलकाता में 10 और सूरत में 8 फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं। इन सात शहरों में ही 150 से अधिक उड़ानें कैंसिल हुईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पिछले दो दिनों में कंपनी की 200 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जबकि कई फ्लाइट्स घंटों की देरी से आ-जा रही हैं।

गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्रियों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। कई यात्री घंटों अपनी फ्लाइट का इंतजार करते रहे। सोशल मीडिया पर भी कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें परेशान यात्री एयरलाइन स्टाफ से बहस करते नजर आए।

इंडिगो की उड़ानों में लगातार देरी और रद्दीकरण के पीछे कई वजहें सामने आ रही हैं — कहीं तकनीकी खामियां, तो कहीं क्रू मेंबर्स की कमी। कई यात्रियों को देरी का स्पष्ट कारण तक नहीं बताया गया।

इसी बीच एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि इंडिगो असली समस्या — यानी पायलटों की भारी कमी — को छिपाने की कोशिश कर रही है। एसोसिएशन ने दावा किया कि कंपनी फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (FDTL) नियमों में ढील पाने के लिए इन देरी और कैंसिलेशन को “रणनीतिक रूप से” उपयोग कर रही है। माना जा रहा है कि इंडिगो इन हालातों को आधार बनाकर सरकार से FDTL नियमों में राहत चाहती है। ऐसे में यह मामला सिर्फ पायलट शॉर्टेज का नहीं, बल्कि नए नियम बदलवाने के दबाव जैसा नजर आ रहा है।