देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए एकीकृत राष्ट्रीय न्यायिक नीति (Unified National Judicial Policy) बनाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने यह बयान हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश है कि मुकदमेबाजी की लागत को कम किया जाए और मामलों के निपटारे के लिए एक तय समयसीमा निर्धारित की जाए।
सीजेआई ने कहा, “मेरी पहली प्राथमिकता एक तय समयसीमा और एकीकृत राष्ट्रीय न्यायिक नीति बनाना है ताकि लंबित मामलों पर जल्द फैसला हो सके। मैं यह नहीं कह रहा कि सभी बकाया मामले खत्म कर दिए जाएंगे — ऐसा कभी नहीं होगा और ऐसा होना भी नहीं चाहिए, क्योंकि मुकदमेबाजी एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। लोगों को न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास है और यही हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने कहा कि नए मामलों के साथ-साथ पुराने मामलों का निपटारा भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए मध्यस्थता (Mediation) जैसे विकल्पों का प्रयोग बढ़ाया जाएगा, जो न्यायिक प्रणाली में एक “गेम चेंजर” साबित हो सकते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट में कई अहम सुधार देखने को मिलेंगे और अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि सामान्य मुकदमेबाजी को भी प्राथमिकता मिले। उन्होंने कहा, “मैं एक सख्त और स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट आम आदमी के लिए है और सामान्य मामलों के लिए भी यहां पर्याप्त जगह है। हालांकि, मैं यह अकेले नहीं कर सकता — इसके लिए मुझे अन्य न्यायाधीशों का सहयोग चाहिए।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका को समय के साथ अपग्रेड करने की आवश्यकता है, क्योंकि डिजिटल अपराध, साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट जैसे नए प्रकार के मामलों से न्याय व्यवस्था की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि देश की न्यायपालिका में अब विविधता (Diversity) भी बढ़ रही है और जैसे-जैसे समाज बदल रहा है, न्यायिक व्यवस्था भी उसी दिशा में विकसित हो रही है।
जस्टिस सूर्यकांत ने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्यायपालिका के भविष्य को उज्जवल बताया। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में शक्तियों का बंटवारा किया गया है — न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं। उन्होंने कहा, “संविधान की खूबसूरती यह है कि ये तीनों शक्तियां एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देतीं, बल्कि आपसी सहयोग से काम करती हैं और एक-दूसरे पर निर्भर भी रहती हैं।”