केंद्र सरकार ने ‘संचार साथी एप’ को लेकर बड़ा बयान जारी किया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब इस एप का स्मार्टफोन्स में प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य नहीं होगा। दूरसंचार मंत्रालय ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए बताया कि यह एप पूरी तरह सुरक्षित है और नागरिकों को साइबर अपराधों से बचाने के उद्देश्य से बनाया गया है। मंत्रालय ने कहा कि सभी नागरिकों को साइबर सुरक्षा का लाभ देने के लिए इसे पहले अनिवार्य किया गया था, लेकिन बढ़ती लोकप्रियता और नागरिकों की स्वेच्छा को देखते हुए अब मोबाइल निर्माताओं के लिए इसका प्री-इंस्टॉलेशन जरूरी नहीं रहेगा।
लोकसभा में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि दूरसंचार क्षेत्र आज देश को दुनिया से जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है, और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को डिजिटल अपराधों से सुरक्षित रखे। यह फैसला एप्पल (Apple) कंपनी के रुख से भी जुड़ा माना जा रहा है, जिसने सरकार के आदेश का पालन करने से मना करते हुए कहा था कि इससे iPhone यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है।
सरकार ने कहा कि यह एप “जन भागीदारी” को बढ़ावा देता है, क्योंकि नागरिक इससे किसी भी संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधि की रिपोर्ट कर सकते हैं। साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उपयोगकर्ता चाहें तो वे इसे कभी भी अनइंस्टॉल कर सकते हैं।
इस एप को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया था। विपक्षी दलों — कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा और आप के अरविंद केजरीवाल — ने इसे नागरिकों की निजता पर हमला बताया था। हालांकि, मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में विपक्ष के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि ‘संचार साथी’ ऐप के जरिए किसी की जासूसी संभव नहीं है और इसका उद्देश्य केवल लोगों की सुरक्षा और मदद है।
सरकार के अनुसार अब तक 1.4 करोड़ लोग यह एप डाउनलोड कर चुके हैं और हर दिन लगभग 2000 ऑनलाइन फ्रॉड मामलों की जानकारी साझा की जा रही है। मंत्रालय ने बताया कि एप को अनिवार्य बनाने का उद्देश्य केवल जागरूकता बढ़ाना था ताकि कम तकनीकी ज्ञान वाले लोग भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें। सिर्फ पिछले एक दिन में ही 6 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं ने यह एप डाउनलोड किया है, जो सामान्य दिनों की तुलना में 10 गुना अधिक है।