राजकरण

एनजीटी ने एस्बेस्टस-सीमेंट शीट को सुरक्षित माना

स्वास्थ्य पर कोई खतरा नहीं; रिपोर्ट के बाद बैन से इनकार

नई दिल्ली।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने देश के निर्माण क्षेत्र से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। यह निर्णय डॉ. राजा सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिया गया। एनजीटी ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित करे कि सामान्य उपयोग के दौरान एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स से आम जनता के स्वास्थ्य को खतरा होता है।

अधिकरण का यह निर्णय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा गठित बहुविषयक विशेषज्ञ समिति की विस्तृत जांच रिपोर्ट पर आधारित है। समिति ने पाया कि स्कूलों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों में उपयोग की जाने वाली एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स से कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, एस्बेस्टोसिस नामक बीमारी केवल उन कर्मचारियों में देखी जाती है, जो लंबे समय तक उच्च सांद्रता वाले एस्बेस्टस धूल के संपर्क में रहते हैं।

विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स में एस्बेस्टस फाइबर सीमेंट के भीतर मजबूती से बंधे रहते हैं, जिससे यह सामग्री टिकाऊ, स्थिर और गैर-भुरभुरी होती है। सामान्य उपयोग के दौरान हवा में एस्बेस्टस फाइबर का स्तर मानक सीमा से काफी कम पाया गया। समिति ने सिफारिश की कि शीट्स की स्थापना या हटाने के समय सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए, ताकि किसी भी तरह के जोखिम को न्यूनतम किया जा सके।

✅ एनजीटी के निर्देश

एनजीटी ने कहा कि एस्बेस्टस-सीमेंट उत्पादों पर अंधाधुंध प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे ग्रामीण भारत में सस्ते और टिकाऊ आवास के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अधिकरण ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि छह महीने के भीतर वैज्ञानिक साक्ष्यों और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं की समीक्षा कर नीति तैयार की जाए। इस नीति में निर्माण, रखरखाव, हटाने और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश शामिल करने को कहा गया है।

✅ उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

निर्माण उद्योग ने एनजीटी के इस फैसले का स्वागत किया है। उद्योग संगठनों का कहना है कि यह फैसला विज्ञान-आधारित विनियमन और जिम्मेदार विनिर्माण का समर्थन करता है। उनका कहना है कि एस्बेस्टस-सीमेंट शीट्स दशकों से सुरक्षित, किफायती और टिकाऊ साबित हुई हैं और यह भारत की सस्ती आवास योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उद्योग ने पर्यावरणीय मानकों और श्रमिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता जताई है।