केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान को लेकर विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है। सिंह ने गुजरात के वडोदरा में ‘एकता मार्च’ के दौरान कहा था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को सरकारी पैसों से बनवाना चाहते थे, लेकिन इसका विरोध सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था। इस बयान के बाद कई विपक्षी दलों ने सरकार पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि “यह सब असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। रोज नए विवाद खड़े किए जा रहे हैं ताकि जनता की वास्तविक समस्याओं पर चर्चा न हो।” वहीं, मनीष तिवारी ने कहा कि “रक्षा मंत्री को इतिहास पर बयान देने के बजाय देश की रणनीतिक चुनौतियों और सुरक्षा मसलों पर ध्यान देना चाहिए।”
कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा, “अगर ऐसा कोई तथ्य है तो उसे दस्तावेज़ के साथ पेश करें, केवल बोल देने से कोई इसे सच नहीं मान लेगा।” उन्होंने आगे कहा कि “ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में यह भी दर्ज है कि सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की थी, जो नेहरू के नेतृत्व में हुई थी।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने आरोप लगाया कि “भाजपा की सरकार का काम ही पुराने विवादों को उठाना रह गया है। नेहरू अब नहीं हैं, इसलिए उन पर आरोप लगाना आसान है।”
अन्य विपक्षी दलों ने भी राजनाथ सिंह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि “रक्षा मंत्री को सेना और सैनिकों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि ऐसे विवादों में पड़ना चाहिए।” टीएमसी सांसद कीर्ति आज़ाद ने मांग की कि “या तो राजनाथ सिंह सबूत पेश करें या माफी मांगकर इस्तीफा दें, क्योंकि इस तरह के बयान शोभा नहीं देते।”
वहीं, शरद पवार गुट की सांसद फौजिया खान ने कहा, “मस्जिद के लिए पैसा ईमानदारी से जुटना चाहिए, सरकारी पैसों से मस्जिद बनाने की बात ही गलत है।”