अमृतसर (एजेंसी)। पाकिस्तान ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर को भी निशाना बनाने के लिए मिसाइलें और ड्रोन दागे थे। इसे भारतीय रक्षा प्रणालियों ने ध्वस्त कर दिया था। इसे लेकर सेना ने एक डेमो भी जारी किया। इसके अलावा सेना के पश्चिमी मोर्चे ने एक नया वीडियो भी जारी किया। वीडियो में सेना ने पंजाब में मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल के मलबे भी दिखाए।
भारतीय सेना ने सोमवार को एक डेमो दिखाया। इसमें बताया गया कि कैसे आकाश मिसाइल प्रणाली सहित भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर और पंजाब के शहरों को पाकिस्तानी मिसाइल और ड्रोन हमलों से बचाया। 15 इन्फैंट्री डिवीजन के GOC मेजर जनरल कार्तिक सी शेषाद्री ने कहा, ‘... सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तानी सेना ने सुनियोजित तरीके से 22 अप्रैल को पहलगाम में अपने आतंकियों द्वारा देश और विदेश के निहत्थे पर्यटकों पर हमला करवाया था। इसके बाद पूरे देश के आक्रोश ने भारत के प्रबल नेतृत्व के अधीन ऑपरेशन सिंदूर का रूप लिया। हमने केवल आतंकी ठिकानों का नाश किया था और इसके अतिरिक्त किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया।’
‘अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर सबसे अहम था’
उन्होंने कहा कि 7 मई की रात को हमें पुख्ता जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान किसी उचित और सटीक टार्गेट न होने के कारण सिविल ठिकानों, खासतौर पर धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएगा। इसमें अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर सबसे अहम था। हमें अतिरिक्त जानकारी यह भी मिली कि वे (पाकिस्तान) स्वर्ण मंदिर पर भारी तादाद में ड्रोन और मिसाइल से हमला करेंगे, इसलिए हमने तुरंत आधुनिक अतिरिक्त एवं उपयुक्त एयर डिफेंस उपलब्ध कराया था। हमने स्वर्ण मंदिर पर एक आंच भी नहीं आने दी।’
‘पाकिस्तान ने फिर से आतंकवादियों का सहारा लिया तो उसका अवश्य ही विनाश होगा’
15 इन्फैंट्री डिवीजन के GOC मेजर जनरल कार्तिक सी शेषाद्रि ने कहा, ‘यदि पाकिस्तान ने फिर से आतंकवादियों का सहारा लिया तो उसका अवश्य ही विनाश होगा। याद रहे कि ऑपरेशन सिंदूर केवल स्थगित किया गया है, खत्म नहीं हुआ है। उसका विकराल रूप अभी बाकी है। भारतीय सेना ने केवल आतंकवाद और आतंकी ठिकानों को बिना किसी अतिरिक्त नुकसान के निशाना बनाया और सटीक तरीके से हमले किए। इसके उलट पाकिस्तानी सेना ने जानकर भारतीय सैन्य ठिकानों और सिविल इलाकों को निशाना बनाया। पाकिस्तानी आर्मी के लिए सभी टार्गेट जायज हैं, मगर भारतीय सेना उनके नापाक मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देगी।
‘इस वक्त हम ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा’
भारतीय सेना के एक जवान ने कहा, ‘इस वक्त हम ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा हैं। 8-9 मई की रात को दुश्मन ने अचानक हम पर फायरिंग की और घुसपैठ की कोशिश की। हमने दुश्मन पर अचूक फायरिंग की और उसकी घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। हमारी फायरिंग का नतीजा ये हुआ कि सुबह तक दुश्मन अपने घुटनों पर आ गए और अपनी पोस्ट पर सफेद झंडा लहरा दिया। हम अपने देशवासियों को यह भरोसा दिलाते हैं कि जब तक देश की सीमाओं पर भारतीय सेना तैनात है, तब तक कोई भी इस देश की तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकता।’
‘नापाक मंसूबे को विफल करने के लिए तैयार’
एक अन्य सैनिक ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी ढांचे पर सफल हमला किया। 22 अप्रैल के बाद हमने अपनी तैयारी शुरू कर दी और कम समय में तैनात होने के लिए तैयार थे। वर्तमान में आप अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब पैंथर गनर्स की एक अच्छी तरह से छिपी हुई और अच्छी तरह से संरक्षित बंदूक की स्थिति में खड़े हैं। हम दुश्मन द्वारा हम पर किए जाने वाले सभी और किसी भी तरह के खतरों के लिए तैयार हैं, जिसमें ड्रोन हमले, हवाई हमले, जवाबी बमबारी और अन्य हाइब्रिड खतरे शामिल हैं। हम सतर्क हैं। हम सतर्क हैं और दुश्मन द्वारा हमारे खिलाफ किए जाने वाले किसी भी नापाक मंसूबे को विफल करने के लिए तैयार हैं।’
‘मिसाइलें सीधे स्वर्ण मंदिर पर दागी गईं’
भारतीय रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता पर एक अन्य सैनिक ने कहा, ‘जमीन आधारित वायु रक्षा हथियारों और सेना के वायु रक्षा हथियारों के गोला-बारूद का केवल 10% ही इस्तेमाल किया गया। हमने YIHA-III और सोंगार जैसे कामिकेज ड्रोन और माइक्रो-ड्रोन बरामद किए हैं, जो संभवतः तुर्की मूल के हैं। हमारी वायु रक्षा दीवार को भेदना बहुत मुश्किल है।’ उन्होंने आगे कहा कि 7 मई को जब हमने पाकिस्तान और पीओके में मुरीदके में लश्कर मुख्यालय जैसे शीर्ष आतंकवादी प्रतिष्ठानों की पहचान की और उन पर हमला किया, तो यह अनुमान लगाया गया था कि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा और हमारे मुख्य हवाई ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएगा।
आश्चर्य की बात यह रही कि कुछ कामिकेज ड्रोन, सतह से सतह और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें सीधे स्वर्ण मंदिर पर दागी गईं। लगभग 3 दिनों तक हमारे हवाई ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने में कोई सफलता नहीं मिलने के बाद उन्होंने इन कामिकेज ड्रोन और रॉकेटों से नागरिक क्षेत्रों गुरुद्वारा साहिब और अन्य क्षेत्रों को निशाना बनाया। सभी हवाई हमलों को रोक दिया गया और बड़ी सटीकता के साथ मार गिराया गया।
‘आकाश’ को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया। डीआरडीओ की ओर से विकसित ‘आकाश’ एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है। इसे डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड की ओर से निर्मित मिसाइलों द्वारा विकसित किया गया है।