गोरखपुर (एजेंसी)। राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू सोमवार को गोरखपुर एम्स पहुंची।
वह दीक्षांत समारोह में शामिल हुई। उन्होंने
यहां 61 छात्रों को डिग्रियां वितरित की। इस
दौरान उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन
पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी
मौजूद रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीक्षांत
समरोह संबोधित करते हुए कहा- डॉक्टर
एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक सेवा है।
डॉक्टरों की तैनाती गांवों में भी होनी
चाहिए। ताकि सभी को बेहतर इलाज
मिल सके। मेडिकल टूरिज्म को बढ़ाने में
एम्स जैसे संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान
है। अन्य देशों से यहां कम खर्च लगता है,
इसलिए बाहर से भी लोग आते हैं। एक
संवेदनशील डॉक्टर न केवल इलाज से
बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को
ठीक होने में मदद करता हैं। राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू ने गोरखपुर एम्स में 61 छात्र-
छात्राओं की डिग्रियां वितरित की। इस
दौरान उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन
पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मंच पर मौजूद रहे।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा
कि यहां जितने छात्र थे। उनमें ज्यादा
बेटियां थी। यह 21वीं सदी महिलाओं की
सदी है। जहां पर भी मैं दीक्षांत में जाती हूं।
पूछने पर पता चलता है की 100 लोगों
को अवार्ड देना है तो उनमें 80 बेटियां हैं।
उन्होंने कहा- जिनको कम मार्क्समिले
हैं। या मेडल नहीं मिला। वे निराश न हों।
आप सभी अवार्ड वाले हैं। यह मान कर
चलिए। जो मिला उसको स्वीकार करके
आगे बढिए। किसी का मत देखिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीक्षांत
समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा
कि अगर हम इस देश के अंदर भारत की
सनातन परम्परा के प्रमुख केंद्र अयोध्या
की बात करें तो 2 घंटे की दूरी पर अयोध्या
और ढाई घंटे की दूरी पर अयोध्या स्थित
है। यह क्षेत्र शैक्षिक रूप से आर्थिक रूप
से पहले विपन्नता का शिकार था। आज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विपन्नता को
दूर करने का संकल्प लिया है। 5 करोड़
प्रत्यक्ष और 7 करोड़ आबादी अप्रत्यक्ष
रूप से इसपर निर्भर है। छात्रों से कहा-
जब आप डिग्री लेकर जा रहे हैं तो सुखद
अनुभूति है कि इंसेफ्लाइटिस का उन्मूलन
हो चुका है। यह आपके लिए केस स्टडी
होनी चाहिए।
जितना आप मांगते हैं उससे ज्यादा
सरकार देती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य
मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दीक्षांत समारोह में
छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने छात्रों
से कहा कि जरूरतमंदों की हमेशा मदद
करनी चाहिए। ये ही एक सच्चे डॉक्टर
का कर्तव्य है।
इससे पहले बरेली में राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली में
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान
(आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में
शामिल हुईं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि
हमारी संस्कृति ‘ईशावास्यम् इदं सर्वम्’
के जीवन मूल्य पर आधारित है, जो सभी
जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती
है। हमारे देवताओं और ऋषियों द्वारा
पशुओं से संवाद करने की मान्यता भी
इसी सोच पर आधारित है। राष्ट्रपति मुर्मू ने
आईवीआरआई दीक्षांत समारोह में छात्रों
को संदेश देते हुए कहा कि मनुष्य का वनों
और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व
का रिश्ता है। कई प्रजातियां या तो विलुप्त
हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर
हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन
प्रजातियों का संरक्षण जैव विविधता और
पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने
की शक्ति दी है, उसका उपयोग सभी
जीवों के कल्याण के लिए किया जाना
चाहिए। कोरोना महामारी ने मानव जाति
को चेताया है कि उपभोग पर आधारित
संस्कृति न केवल मानव जाति को बल्कि
अन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भी
अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में
‘एक स्वास्थ्य’ की अवधारणा को महत्व
मिल रहा है। यह अवधारणा मानती है
कि मनुष्य, पालतू और जंगली जानवर,
वनस्पतियां और व्यापक पर्यावरण
सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हमें पशु
कल्याण के लिए प्रयास करना चाहिए।
एक प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप
में आईवीआरआई इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण
भूमिका निभा सकता है, खासकर
जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और
नियंत्रण में।