भारतीय दलित विकास
संस्थान के तत्वावधान में चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय
परिसर स्थित काशीराम शोधपीठ सभागार में महान
क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह की जयंती की पूर्व संध्या पर
समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रममें शहीद उधम सिंह
के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित किया गया। अध्यक्षता
काशीराम शोध पीठ के निदेशक प्रो. दिनेश कुमार ने की व
संचालन डॉ. मनोज जाटव ने किया। कार्यक्रममें वक्ताओं
ने शहीद उधम सिंह के कृतित्व बलिदान पर प्रकाश डाला।
महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि शहीद उधम
सिंह भारत माता के लाडले सपूत थे। उन्होंने ऐतिहासिक
व साहसिक कार्यकिया।
पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि उधम सिंह महान
स्वतंत्रता सेनानी थे। 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार
के जिम्मेदार जनरल माइकल ओ डायर को लगभग 21 वर्ष
बाद 31 मार्च 1940 में लंदन के खचाखच भरे केकस्टन में
गोली से भूनकर लाखों भारतीयों के खून का बदला लेकर
भारत माता का स्वाभिमान बढ़ाया। विधान परिषद सदस्य
धर्मेंद्र भारद्वाज ने कहा कि शहीद उधम सिंह दृढ़ संकल्पित
व्यक्तित्व के धनी थे, जो मन में ठान लिया उसे पूरा करना
ही जीवन का अंतिम लक्ष्य माना।
व्यापारी नेता सरदार
दलजीत सिंह ने कहा शहीद उधम सिंह को जो राष्ट्रीय
स्तर पर सम्मान मिलनाचाहिए था, वह नहीं मिला। शोबन
सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा से प्रोफेसर सुधीर
चौधरी ने कहा जलियांवाला बाग नरसंहार को उधम सिंह
ने बचपन में देखा था। अंजू वारियर ने कहा उधम सिंह का
कोई विकल्प नहीं हो सकता, जिसने अपने लक्ष्य की पूर्ति
के लिए जीवन लगा दिया। काशीराम शोध पीठ के निदेशक
डॉ दिनेश कुमार ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि शहीद
उधम सिंह पर शोध करने की आवश्यकता है।
भारतीय दलित विकास संस्थान के अध्यक्ष डॉ.
चरणसिंह लिसाडी ने कहा कि महान क्रांतिकारी उधम
सिंह जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य किरदारों को
इतिहास में समुचित स्थान नहीं मिल पाया यह दुर्भाग्यपूर्ण
है। कार्यक्रम में डॉ महीपाल सिंह, मदन गौतम शोभापुर,
डॉ भूपेंद्र प्रताप, पार्षद सत्यपाल सिंह, चेतन्यदेव स्वामी,
रामरतन खरे, राजकुमार शर्मा, दीपक सूद, डॉ. प्रवीन,
रीता पेपला, अनिता सिंह, सुनीता सैनी, श्रीमती विमला
जाटव, महेंद्र सिंह लिसाडी, जतिन लिसाडी, जगपाल सिंह
बौद्ध, विजेंद्र सागर, रविंद्र गोलाबड़, धर्मेंद्र प्रधान, लेख
राज सिंह, कपिल राही आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।