राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू ने मंगलवार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और
जिम्मेदारी की बात पर जोर दिया। उन्होंने
कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सुरक्षा बलों
की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक
की सक्रिय भागीदारी से ही मजबूत होती है।
उन्होंने कहा कि लोग अपने आसपास हो
रही घटनाओं के केवल दर्शक नहीं बने,
बल्कि सतर्क और सक्रिय भागीदार बनें।
उन्होंने जन भागीदारी को लोगों के लिए
केंद्रित सुरक्षा का आधार बताया। बता दें
कि राष्ट्रपति ने यह बात इटेंलिजेंस ब्यूरो
(आईबी) के शताब्दी उपनिवेश व्याख्यान
में कही, जिसका विषय था ‘जन-केंद्रित
राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण
में सामुदायिक भागीदारी’।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित
शाह, राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार, गृह
सचिव गोविंद मोहन और आईबी प्रमुख
तपन कुमार डेका भी मौजूद थे। इस दौरान
मुर्मू ने कहा कि सोशल मीडिया ने सूचना
और संचार कीदुनिया बदल दी है।
इसके
माध्यम से अच् और बुरे छे दोनों तरह के
प्रभाव फैल सकते हैं। उन्होंने नागरिकों
से कहा कि वे सोशल मीडिया पर सच पर
आधारित जानकारी साझा करें और गलत
सूचनाओं से बचाव करें।
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने उदाहरण देते
हुए कहा कि कई बार जागरूक नागरिकों
की जानकारी के कारण सुरक्षा बल गंभीर
संकट टालने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा
कि भारत में पहले पुलिस और सरकारी
कर्मचारियों के प्रति कुछ लोग दूरी महसूस
करते थे, लेकिन विकसित देशों में लोग
पुलिस को भरोसेमंद और मददगार मानते
हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पुलिस और
आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों का काम लोगों
की सेवा करने की भावना से होना चाहिए।
मुर्मू ने ड्रग्स और कट्टरपंथ जैसी
समस्याओं से निपटने में जनता की
भागीदारी की अहमियत बताई। उन्होंने
कहा कि आधुनिक सुरक्षा चुनौतियां अब
डिजिटल और गैर-पारंपरिक स्वरूप की
हैं।
डिजिटल फ्रॉड और साइबर अपराध से
निपटने के लिए घर, संस्थान और समुदाय
स्तर पर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कहा
कि नागरिक साइबर अपराध की जानकारी
तुरंत संबंधित एजेंसियों तक पहुँचा सकते
हैं और इससे भविष्य में अपराध रोकने में
मददमिल सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि
सीमाओं पर तनाव, आतंकवाद, माओवादी
हिंसा और साम्प्रदायिक कट्टरता जैसी
परंपरागत सुरक्षा चुनौतियां अभी भी हैं।
इसके अलावा भौगोलिक तनाव, आर्थिक
अस्थिरता और व्यापार बाधाएं भी आंतरिक
सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए
हर समस्या का हल हमारे विशेष संदर्भ के
अनुसार ढूंढना और जनता की भागीदारी
बढ़ाना जरूरी है। मुर्मू ने पर्यावरण संरक्षण में
भी जनता की भागीदारी का महत्व बताया।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और
सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव
से लोगों में संघर्ष की संभावना बढ़ती है।
राष्ट्रपति ने सुरक्षा एजेंसियों की तारीफ
करते हुए कहा कि नक्सलवाद को 31
मार्च, 2026 तक पूरी तरह खत्म करने का
संकल्पलिया गया है। 2014 में 126 जिले
नक्सल प्रभावित थे, अब केवल 11 जिले
प्रभावित हैं।ध