राजकरण

रिटायरमेंट से पहले जजों का ताबड़तोड़ फैसले सुनाना दुर्भाग्यपूर्ण: सुप्रीम कोर

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यायपालिका में भ्रष्ट आचरण को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने भ्रष्टाचार का जिक्र किए बिना कहा कि रिटायरमेंट से ठीक पहले जजों का बाहरी कारणों से प्रभावित होकर ताबड़तोड़ फैसला सुनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यायपालिका में भ्रष्ट आचरण को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने भ्रष्टाचार का जिक्र किए बिना कहा कि रिटायरमेंट से ठीक पहले जजों का बाहरी कारणों से प्रभावित होकर ताबड़तोड़ फैसला सुनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत के चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की बेंच ने कहा- कुछ जजों में रिटायरमेंट से चंद दिनों पहले बहुत ज्यादा आदेश पारित करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। वे आदेश ऐसे सुनाते हैं, जैसे मैच के अंतिम ओवर में छक्के मार रहे हों। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के एक प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। जज ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत रिटायरमेंट से 10 दिन पहले उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। आरोप है कि जज ने कुछ संदिग्ध आदेश पारित किए थे। याचिकाकर्ता जज का रिटायरमेंट 30 नवंबर को होना था। उन्हें 19 नवंबर को दो न्यायिक आदेशों के आधार पर निलंबित किया गया। उनकी ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विपिन सांघी ने कहा कि जज का करियर बेदाग रहा है। सांघी ने दावा किया कि सालाना रिपोर्टों में जज को लगातार हाई रेटिंग मिली है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिन आदेशों पर आपत्ति है, उसे हाईकोर्ट में अपील के जरिए सुधारा जा सकता है। इसके लिए किसी न्यायिक अधिकारी को सस्पेंड कैसे किया जा सकता है। सांघी ने बताया कि याचिकाकर्ता 30 नवंबर 2025 को रिटायर होने वाले थे। चूंकि, मध्य प्रदेश सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 62 साल कर दी है। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट के 20 नवंबर के आदेश के तहत जज अब 30 नवंबर 2026 को रिटायर होंगे।