कांग्रेस की
राष्ट्रीय प्रवक्ता साधना भारती ने कांग्रेस
कार्यालय बुढ़ाना गेट पर आयोजित प्रेस
कॉन्फ्स में कें रें द्र की मोदी सरकार पर
ग्रामीण भारत, मजदूर वर्ग और संवैधानिक
अधिकारों के खिलाफ सुनियोजित हमले
का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी
सरकार ने ‘सुधार’ के नाम पर ऐसे निर्णय
लिए हैं, जिनसे मनरेगा जैसी ऐतिहासिक
रोजगार गारंटी योजना को लगभग समाप्त
करने की दिशा में धकेल दिया है।
साधना भारती ने कहा कि मनरेगा
केवल एक कल्याणकारी योजना नहीं,
बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के
तहत जीवन और काम के अधिकार से
जुड़ा कानूनी अधिकार है।
यह महात्मा
गांधी के ग्राम स्वराज, श्रम की गरिमा और
विकेन्द्रीकृत विकास की अवधारणा का
व्यावहारिक स्वरूप है। उन्होंने कहा कि
मोदी सरकार ने पहले इस योजना से महात्मा
गांधी का नाम हटाया, फिर बजट में लगातार
कटौती की, राज्यों के वैधानिक बकाये रोके
और अब एक नया ढांचा लाकर मनरेगा को
अधिकार आधारित व्यवस्था से हटाकर
केंद्र-नियंत्रित, शर्तों वाली स्कीम में बदलने
का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा
कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मनरेगा को
‘कांग्रेस की विफलता का स्मारक’ बता
चुके हैं।
साधना भारती ने कहा कि पहले
मनरेगा 100 प्रतिशत केंद्र पोषित योजना
थी, लेकिन अब मोदी सरकार लगभग
₹50,000 करोड़ या उससे अधिक का खर्च
राज्यों पर डालना चाहती है।
नेशनल हेराल्ड मामला: राजनीतिक
बदले की राजनीति पर न्यायिक रोक
प्रेस कॉन्फ्स में साधना भारती ने रें
नेशनल हेराल्ड मामले में न्यायालय द्वारा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यवाही
को खारिज किए जाने को मोदी-शाह
सरकार की राजनीति की बड़ी नैतिक
और कानूनी हार बताया। उन्होंने कहा
कि अदालत की टिप्पणियों से यह स्पष्ट
हो गया है कि वर्षों तक कोई मूल अपराध
(Predicate Offence) मौजूद नहीं
था। सीबीआई और ईडी स्वयं FIR दर्ज न
करने पर सहमत थीं। 2021 में राजनीतिक
दबाव में अचानक मामला खड़ा किया
गया। यह पूरा मामला कांग्रेस संसदीय
दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता
विपक्ष राहुल गांधी को डराने, बदनाम
करने और राजनीतिक रूप से दबाने की
साजिश था, जो अब पूरी तरह बेनकाब
हो चुकी है। प्रेसवार्ता में कांग्रेस प्रवक्ता
अभिमन्यु त्यागी, महानगर अध्यक्ष रंजन
शर्मा, एआईसीसी कॉर्डिनेटर हेमन्त प्रधान,
रमनकांत शर्मा, यासिर सैफी, राकेश
कुशवाहा, आमिर रज़ा, तरुण शर्मा, अरुण
कौशिक, इरशाद, विजय चिकारा आदि
मौजूद रहे।