वारदात

कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक

दुष्कर्म के दोषी विधायक को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

सुप्रीम कोर्ट में आज उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मुकदमे पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत की पीठ ने सेंगर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा किदिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की अपील की। पीठ ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी क्योंकि इस मुकदमे पर विचार करना आवश्यक है। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि कि उच्च न्यायालय के 23 दिसंबर के आदेश के आधार पर सेंगर को हिरासत से रिहा नहीं किया जाएगा। मामले की सुनवाई चार सप्ताह करने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, इस मामले में महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्नों पर विचार किया जाना है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ये मामला बच्ची के साथ भयावह दुष्कर्म का है। दोषी पर आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो कानून की धारा पांच और छह के तहत आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने इस बात को नोट किया कि अपराध के समय पीड़िता की आयु 15 साल 10 माह थी। तमाम दलीलों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के पक्ष में हैं। सेंगर के खिलाफ सीबीआई की याचिका गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई की। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। बता दें किदिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी थी, जिसके बाद सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया।

सेंगर को हाईकोर्ट से किस आधार पर मिली राहत बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील के लंबित रहने तक सेंगर की सजा निलंबित रहेगी। हाईकोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया था कि सेंगर पहले ही सात साल, पांच महीने की अवधि जेल में बिता चुका है। बता दें कि दोषी करार दिए गए पूर्व भाजपा विधायक ने दिसंबर 2019 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। फिलहाल, इस मामले में भाजपा से निष्कासित नेता जेल में ही रहेंगे क्योंकि वह पीड़ित के पिता की हिरासत में मौत के मामले में भी 10 साल की सजा काट रहे हैं। अदालत ने इस मामले में उन्हें जमानत नहीं दी है। बता दें कि उन्नाव दुष्कर्म और इससे जुड़े अन्य मामले 1 अगस्त, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अंजलि पटेल और पूजा शिल्पकार ने भी याचिकाएं दायर की हैं, जिनपर सुनवाई की तारीख निर्धारित नहीं हुई है।