स्वास्थ्य

देशभर में रेलवे स्टेशन, मॉल में धमाकों की थी साजिश

दिल्ली ब्लास्ट- जनवरी से रची जा रही थी साजिश:दो साल से विस्फोटक जमा कर रही थी लेडी टेररिस्ट; PM मोदी अस्पताल में घायलों से मिले, आतंिकयों की दूसरी कार फरीदाबाद से बरामद

दिल्ली धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक यह आतंकी साजिश फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से संचालित हो रही थी। जांच में पता चला कि धमाकों की योजना जनवरी से बनाई जा रही थी। फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद ने बताया कि वह पिछले दो साल से विस्फोटक सामग्री जमा कर रही थी। शाहीन और उसके साथियों के साथ मिलकर एक “व्हाइट कॉलर टेरर मॉडल” तैयार किया गया था, जिसमें पेशेवर लोगों को शामिल किया गया। यह समूह जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा था। दिल्ली धमाके में शामिल आतंकियों की दूसरी कार फरीदाबाद से बरामद की गई है, जिसका नंबर DL10-CK-0458 है और यह डॉक्टर उमर नबी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि आतंकियों का मकसद देशभर में 200 बमों (IEDs) से 26/11 जैसे हमले करना था, जिनमें लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, गौरी शंकर मंदिर, रेलवे स्टेशन और बड़े मॉल्स जैसे स्थान निशाने पर थे। आतंकियों ने धार्मिक स्थलों को लक्ष्य बनाकर देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की योजना बनाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलएनजेपी अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और दोषियों को सजा दिलाने का आश्वासन दिया। यह विस्फोट लाल किले के पास सोमवार को हुआ था, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी। जांच में सामने आया कि दक्षिण कश्मीर का रहने वाला डॉक्टर उमर नबी इस साजिश का मास्टरमाइंड था और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था। वह बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर बड़ा धमाका करने की योजना बना रहा था, लेकिन साथी की गिरफ्तारी से घबराकर धमाका समय से पहले हो गया। जांच में पता चला है कि उमर नबी ने फरीदाबाद लौटने के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसी विस्फोटक सामग्रियाँ जुटाकर छिपाई थीं।