लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कोहिमा में एक कार्यक्रम में भाग लिया। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर गठित होने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में सभी राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा रही है। यह विधेयक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर अपराध के मामले में 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर स्वचालित रूप से पद से हटाने का प्रावधान करता है।
ओम बिरला ने कहा कि संसदीय समितियों को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ये समितियाँ उन विषयों पर चर्चा करती हैं जो राजनीति से परे और देशहित से जुड़े होते हैं। उन्होंने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि सभी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व इस समिति में शामिल हो और समिति का गठन जल्द से जल्द किया जाए ताकि विधेयक पर व्यापक चर्चा हो सके।
इस बीच कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने जेपीसी में शामिल होने से इनकार कर दिया है। वहीं, एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने विपक्ष से अलग रुख अपनाते हुए समिति में शामिल होने का फैसला किया है। यह संयुक्त समिति 31 सदस्यों वाली होगी। यह समिति संविधान संशोधन विधेयक के साथ दो अन्य विधेयकों की भी समीक्षा करेगी, जिन्हें संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन 20 अगस्त को पेश किया गया था।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक कानून के उस बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करता है जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक उसका अपराध साबित न हो जाए। उनका तर्क है कि केवल गिरफ्तारी या जमानत न मिलने के आधार पर किसी जनप्रतिनिधि को पद से हटाना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।