सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नोएडा में 2005-2006 के निठारी हत्याकांड से जुड़े हत्या और रेप केस में सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सुरेंद्र की उस क्यूरेटिव पिटीशन को मंजूरी दे दी, जिसे उसने खुद को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर किया था। फरवरी 2011 में 15 साल की एक लड़की की हत्या के मामले में कोली की दोषसिद्धि को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाकी 12 मामलों में बरी किए जाने के बाद उसने इस साल एक बार फिर क्यूरेटिव पिटीशन लगाई थी।
CJI बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कोली की दोषसिद्धि को खारिज करते हुए कहा कि उसे तत्काल रिहा किया जाए। सुरेंद्र के वकील युग मोहित चौधरी ने कहा, “19 साल बाद जिन 13 मामलों में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, उनमें से 12 में वह पहले ही निर्दोष साबित हो चुका था। एक मामला बचा था, जिसमें पांच अदालतों ने उसे दोषी घोषित कर मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में भी पहले के फैसलों को पलट दिया है। इस बेचारे को किसी ताकतवर व्यक्ति को बचाने के लिए फंसाया गया था। हर सबूत झूठा था, एक भी दोषसिद्धि को सही नहीं ठहरा सकता। यह स्पष्ट है कि सीबीआई ने असली अपराधी को जानते हुए भी इन निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठे सबूत गढ़े और उन्हें फंसाया।”
कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 साल की एक लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा बरकरार रखी थी। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी दया याचिका पर फैसले में हद से ज्यादा देरी के कारण उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी के कई दूसरे मामलों में कोली और पंढेर को बरी कर दिया था, जिससे 2017 में निचली अदालत से मिली मौत की सजा को पलट दिया गया।