लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने
2027 तक प्रदेश को ‘बाल श्रम मुक्त’ बनाने
का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इसे
हासिल करने के लिए श्रम विभाग के नेतृत्व में
शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज,
गृह, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, ग्राम्य विकास,
शहरी विकास, और व्यवसायिक शिक्षा विभागों
के बीच अभूतपूर्व समन्वय स्थापित किया गया
है। बाल श्रम उन्मूलन की राह में डाटा की
कमी और स्कूलों में बच्चों का ठहराव जैसी
चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने ठोस
और नवाचारपूर्ण कदम उठाए हैं, जो उत्तर प्रदेश
को एक सशक्त और समृद्ध समाज की ओर ले
जा रहे हैं। बाल श्रम उन्मूलन की सबसे बड़ी
चुनौती विश्वसनीय डाटा की अनुपलब्धता
रही है, क्योंकि 2011 की जनगणना के बाद
से इस संबंध में कोई व्यापक आंकड़े उपलब्ध
नहीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पंचायती
राज विभाग को ग्राम स्तर पर कामकाजी बच्चों
और बाल श्रमिकों का डाटा एकत्र करने की
जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यह डाटा श्रम औरशिक्षा
विभाग के साथ साझा किया जाएगा, जिससे
बाल श्रम उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से
लागू किया जा सके। सभी जनपदों में शीघ्र ही
जिला टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो
पंचायतों के सहयोग से डाटा संकलन को गति
देगा। इसके अतिरिक्त, यूनिसेफ के सहयोग से
विभिन्न विभागों की योजनाओं को एक बुकलेट
में संकलित किया जाएगा, जिसमें बाल श्रमिकों
और उनके परिवारों को लाभान्वित करने वाली
योजनाओं की जानकारी होगी। यह पहल
सुनिश्चित करेगी कि हर जरूरतमंद बच्चे और
उनके परिवार तक सरकारी योजनाओं का लाभ
पहुंचे। एक अन्य प्रमुख चुनौती है उन बच्चों
का स्कूलों में ठहराव, जो नामांकन के बावजूद
नियमित रूप से स्कूल नहीं आते और संभावित
बाल श्रम की श्रेणी में आते हैं। इस समस्या से
निपटने के लिए महिला कल्याण विभाग की
बाल सेवा योजना, स्पॉन्सरशिप योजना, और
चाइल्ड हेल्पलाइन को सक्रिय रूप से लागू
किया जा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से
बच्चों को शिक्षा और पुनर्वास के अवसर प्रदान
किए जा रहे हैं।