वारदात

हाईकोर्ट बेंच के लिए ‘मेरठ बंद’ आज

अधिवक्ता बोले, 70% राजस्व के बावजूद सौतेला व्यवहार, पेट्रोल पंप, बाजार व अन्य प्रतिष्ठान भी रहेंगे बंद

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर 17 दिसंबर को मेरठ पूर्ण रूप से बंद रहेगा। इस बंदी का आह्वान अधिवक्ताओं ने किया है, जिसे 22 जिलों के अधिवक्ताओं और विभिन्न व्यापारिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। मेरठहापुड़ लोकसभा सांसद अरुण गोविल ने इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह से अधिवक्ताओं की मुलाकात का समय मांगा है। अधिवक्ताओं का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को न्याय के लिए लगभग 800 किलोमीटर दूर इलाहाबाद जाना पड़ता है, जबकि मेरठ से लाहौर कीदूरी इससे कम है। यह मांग कई दशकों से लंबित है।

अधिवक्ताओं का आरोप है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण पश्चिम को हाईकोर्ट बेंच नहीं मिल पा रही है, जबकि यह क्षेत्र पूरे प्रदेश को 70%से अधिक राजस्व देता है। मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि इस आंदोलन को 1200 से अधिक व्यापारिक संगठनों के साथ-साथ कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि आज सुबह 6:30 बजे से अधिवक्ता सक्रिय हो जाएंगे। शहर में 8 मोबाइल गाड़ियां घूमकर बाजार बंद सुनिश्चित करेंगी। 35 प्रमुख बिंदुओं पर अधिवक्ता मौजूद रहेंगे। इस बंदी में स्कूल और कॉलेज भी बंद रहेंगे।

अधिवक्ताओं का मानना है कि यह बंदी एक जन आंदोलन का रूप लेगी, जिसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचेगी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हाईकोर्ट बेंच मिलकर रहेगी। उनका कहना है कि जब तक यह लड़ाई जन आंदोलन का रूप नहीं लेगी, तब तक पश्चिम के लोगों को हाईकोर्ट बेंच नहीं मिलेगी। अधिवक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग 75%से अधिक राजस्व देते हैं। केंद्र और प्रदेशदोनों में भाजपा कीसरकार होने के बावजूद हाईकोर्ट बेंच की मांग पूरी नहीं हो रही। कहा कि सस्ता और सुलभ न्याय का वादा किया जाता है, लेकिन हकीकत कुछ और है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश पिछले 40 वर्षों से इस अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है।