दिल्ली के रेड फोर्ट
के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट के
बाद अलफलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़
गई हैं। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन
काउंसिल (एनएएसी) ने यूनिवर्सिटी को
फर्जी एक्रेडिटेशन क्लेम के लिए कारण बताओ
नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, प्रवर्तन
निदेशालय (ईडी) भी यूनिवर्सिटी की फंडिंग
पर फॉरेंसिक ऑडिट करने जा रहा है। एनएएसी
के डायरेक्टर गणेशन कन्नाबिरण ने 12 नवंबर
को जारी नोटिस में कहा कि अल फलाह
यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर गलत दावा
किया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि उसके तीन
कॉलेज, अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग
एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, एनएएसी ए ग्रेड),
ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (2008
से) और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन
एंड ट्रेनिंग (2006 से, एनएएसी ए ग्रेड)
एनएएसी मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एनएएसी ने
स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग स्कूल को 2013-
2018 तक (सीजीपीए 3.08) और एजुकेशन
स्कूल को 2011-2016 तक (सीजीपीए
3.16) ‘ए’ ग्रेड मिला था, जो समाप्त हो चुका
है। एनएएसी ने इसे ‘जनता, अभिभावकों और
छात्रों को गुमराह करने वाला’ बताया।
नोटिस में
कई सवाल पूछे गए, जिनका यूनिवर्सिटी को 7
दिनों में जवाब देना होगा। तब तक वेबसाइट से
एनएएसी का जिक्र हटाना अनिवार्य है। नोटिस
के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई।
वहीं, दूसरी ओर ईडी ने यूनिवर्सिटी के
वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू की है। दिल्ली
ब्लास्ट केस में आरोपी डॉक्टरों- डॉ. उमर नबी,
डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद के
ट्रांजेक्शन चेक किए जाएंगे। इन डॉक्टरों ने 20
लाख रुपए इकट्ठा कर 26 क्विंटल एनपीके
फर्टिलाइजर खरीदा, जो आईईडी बनाने के लिए
इस्तेमाल हुआ।
ईडी फॉरेंसिक ऑडिट से विदेशी फंडिंग का
पता लगाएगी। अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने
विदेशी फंडिंग से इनकार किया है, लेकिन जांच
में सहयोग का दावा किया है।
उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल
के भंडाफोड़ और दिल्ली के लालकिले के निकट
हुए ब्लास्ट के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी का
नाम गलत कारणों से चर्चाओं में है। इसी को
देखते हुए अब यूनिवर्सिटी ने अपनी तरफ से
आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हमारा
इस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है।