पंजाब में किसान आंदोलन एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। पिछले 13 महीनों से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों पर पंजाब पुलिस ने 19 मार्च, 2025 को अचानक कार्रवाई की, जिससे किसानों में गहरा असंतोष फैल गया है। इस कार्रवाई के विरोध में किसानों ने राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नर (डीसी) कार्यालयों का घेराव करने का ऐलान किया है।
पुलिस की कार्रवाई: पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के टेंट और अस्थायी ढांचों को बुलडोजर से हटाया। इस दौरान लगभग 800 किसानों को हिरासत में लिया गया, जिनमें प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर भी शामिल हैं। पुलिस ने इन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं भी अस्थायी रूप से बंद कर दीं।
किसानों की प्रतिक्रिया: पुलिस कार्रवाई के बाद किसान संगठनों में भारी रोष व्याप्त है। कई संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया: पंजाब सरकार की इस कार्रवाई पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक समय किसानों को समर्थन दिया था, लेकिन अब उनकी सरकार किसानों के टेंट हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे किसानों के साथ विश्वासघात करार दिया है।
सरकार का पक्ष: पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य के लिए जीवनरेखा सरीखे दो राजमार्गों के लंबे समय तक बंद रहने से उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) युवाओं और रोजगार सृजन के लिए प्रतिबद्ध है। अगर व्यापार और उद्योग सुचारू रूप से चलते रहेंगे तो उन्हें रोजगार मिलेगा।
आंदोलन की वर्तमान स्थिति: पुलिस कार्रवाई के बावजूद, किसानों ने अपने आंदोलन को जारी रखने का ऐलान किया है। धरना स्थलों को हटाए जाने और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद किसान संगठनों में भारी रोष है। कई संगठन इस कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं और बड़े आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।