कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सराहना की है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। थरूर ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की तटस्थ नीति की उन्होंने पहले आलोचना की थी, लेकिन अब उन्हें महसूस होता है कि यह नीति सही थी।
थरूर का बयान: दिल्ली में आयोजित 'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र में थरूर ने कहा, "मैं आज यह स्वीकार करता हूं कि फरवरी 2022 में मैंने संसद में भारत के रुख की आलोचना की थी, लेकिन अब तीन साल बाद मुझे लगता है कि मैं गलत था। भारत की नीति ने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे प्रधानमंत्री रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपतियों से मिल सकते हैं और दोनों जगह उनका स्वागत होता है।"
बीजेपी की प्रतिक्रिया: थरूर की इस प्रशंसा पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को अब नए आलोचकों की जरूरत है, क्योंकि पुराने आलोचक अब प्रशंसक बनते जा रहे हैं। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने थरूर के बयान का वीडियो साझा करते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी को नए नफरत करने वालों की जरूरत है, पुराने तो उनके प्रशंसक बनते जा रहे हैं।"
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: कांग्रेस पार्टी ने थरूर के इस बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा, "यह ऐसी बात है जिसे केवल शशि थरूर ही स्पष्ट कर सकते हैं। अगर कोई सांसद अपनी राय व्यक्त करता है, तो यह उसका दृष्टिकोण है, मैं इसके बारे में क्या कह सकता हूं।"
राजनीतिक विश्लेषण: शशि थरूर के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक विभिन्न दृष्टिकोणों से देख रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह कांग्रेस के भीतर विचारधारा में परिवर्तन का संकेत हो सकता है, जबकि अन्य इसे थरूर की व्यक्तिगत सोच का परिणाम मानते हैं। बीजेपी इसे अपनी नीतियों की सफलता के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि कांग्रेस इसे व्यक्तिगत राय कहकर अलग रही है।
शशि थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की प्रशंसा ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस पर और क्या प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं और क्या यह कांग्रेस पार्टी के भीतर किसी बड़े परिवर्तन का संकेत है या सिर्फ एक व्यक्तिगत राय।