वारदात

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: CJI ने कहा- गरीब और मजदूर सर्वाधिक प्रभावित

अब ऐसे आदेश देने की जरूरत,जिसका सख्ती से पालन हो सके

 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली- एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई और साफ कहा कि अब ऐसे आदेश देने की जरूरत है, जिनका जमीन पर सख्ती से पालन हो सके। दिल्ली- एनसीआर के वायु प्रदूषण से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया। सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अपराजिता ने अदालत को बताया कि जब तक अदालत की ओर से स्पष्ट और कड़ेनिर्देश नहीं दिए जाते, तब तक राज्य सरकारें गंभीरता से उनका अनुपालन नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए व्यावहारिक और प्रभावी आदेश जरूरी हैं। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने इस मुद्देपर टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत इस समस्या से पूरी तरह अवगत है और अब ऐसे आदेश पारित किए जाएंगे, जिन्हें वास्तव में लागूकिया जा सके।

उन्होंने कहा कि कुछ निर्देश ऐसे होने चाहिए, जिनका पालन जबरदस्ती भी कराया जा सके। सीजेआई ने यह भी कहा कि दिल्ली जैसे शहरी महानगरों में एक वर्ग ऐसा है, जिनकी जीवनशैली प्रदूषण की समस्यापैदा करती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब, दिहाड़ी मजदूर वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ता है। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि यह मामला बुधवार को तीन जजों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा ताकि इस पर व्यावहारिक और ठोस आदेश दिए जा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 17 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदषण से जु ू ड़े सभी मामलों की विस्तृत सुनवाई की जाएगी। इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण को सिर्फ सर्दियों के मौसम में सामने आने वाला ‘सामान्य’ मामला मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा था कि इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए महीने में कम से कम दो बार नियमित सुनवाई की जाएगी।