नई दिल्ली: भारतीय राजनीति के दो महान नेताओं, डॉ. मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी, के बीच का एक पुराना और दिलचस्प किस्सा आज भी भारतीय राजनीति की यादगार घटनाओं में से एक है। डॉ. मनमोहन सिंह, जो अपनी शालीनता और कार्य के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं, एक बार अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना से इतने आहत हुए थे कि उन्होंने मंत्री पद छोड़ने तक का निर्णय ले लिया था।
यह घटना 1991 के आसपास की है, जब डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री के रूप में भारत को आर्थिक संकट से निकालने के लिए कड़े और ऐतिहासिक फैसले ले रहे थे। उन्होंने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां लागू कीं, जिनका उस समय विपक्ष द्वारा जमकर विरोध किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी, जो अपनी प्रभावशाली वाकपटुता और विनम्र आलोचना के लिए जाने जाते थे, ने संसद में डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "यह नीतियां देश की आत्मनिर्भरता पर सवाल खड़ा करती हैं और हमें विदेशी शक्तियों पर निर्भर बना सकती हैं।"
मनमोहन सिंह का जवाब
डॉ. सिंह, जो अक्सर आलोचनाओं का शालीनता से सामना करते थे, इस बार अटल जी की बातों से बेहद आहत हुए। उन्होंने इसे व्यक्तिगत रूप से लिया और अपने सहयोगियों से कहा कि वह मंत्री पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।
डॉ. सिंह का मानना था कि उन्होंने जो नीतियां बनाई थीं, वे भारत के भविष्य के लिए जरूरी थीं। लेकिन, अटल जी जैसी शख्सियत से आलोचना सुनना उनके लिए कठिन था।
कैसे संभला मामला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस घटना के बाद डॉ. सिंह से बात की और उन्हें समझाया कि राजनीति में आलोचना सामान्य है और इसे व्यक्तिगत नहीं लेना चाहिए। सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें समझाया कि उनकी नीतियां देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं।
इसके बाद डॉ. सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और आर्थिक सुधारों के अपने मिशन पर आगे बढ़े।
दोनों नेताओं का आपसी सम्मान
इस घटना के बावजूद, डॉ. मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा एक-दूसरे का सम्मान किया। अटल जी ने बाद में स्वीकार किया था कि डॉ. सिंह की आर्थिक नीतियों ने भारत को एक नई दिशा दी। वहीं, डॉ. सिंह ने अटल जी को एक राजनीतिक मार्गदर्शक और उत्कृष्ट नेता बताया था।
मनमोहन सिंह की शालीनता का प्रतीक
इस किस्से से यह साफ होता है कि डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक बेहतरीन अर्थशास्त्री और नेता थे, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी थे। उन्होंने आलोचना को भी अपने सुधारों के लिए प्रेरणा बनाया और भारत को आर्थिक सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ाया।
नेताओं की श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "डॉ. सिंह का जीवन भारतीय राजनीति के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने हर आलोचना को शालीनता और धैर्य से संभाला।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "डॉ. सिंह का जीवन हमें सिखाता है कि कैसे विनम्रता और दृढ़ता के साथ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।"
डॉ. सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह का यह किस्सा भारतीय राजनीति में उनके योगदान और व्यक्तित्व की गहराई को दर्शाता है। उनके फैसले, चाहे वे कितने भी विवादास्पद क्यों न रहे हों, भारत के विकास और प्रगति के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे।