समाजसेवा, पुण्य कर्म और दान करने की प्रवृत्ति किसी भी इंसान को महान बना
देती है। मेरठ में ऐसा ही एक नाम था प्रेमचंद जैन। प्रेमचंद जैन वह शख्सियत
थे, जिन्होंने मेरठ ही नहीं आसपास के मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और जैन
मंदिरों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई और अपनी अपेक्षा से ज्यादा बढ़चढ़
कर सहयोग किया। अपने जीवन में वे अपनी एक इच्छा पूर्ण नहीं कर पाए और वह थी
किसी भी चर्च अथवा मिशनरी स्कूल में प्रभु यीशु मसीह की प्रतिमा की स्थापना।
देहावसान से पूर्व उन्होंने अपने पुत्र वरिष्ठ रालोद नेता और अजंता पैट्रोल
पंप के निदेशक मुकेश जैन से इच्छा जताई कि वह किसी मिशनरी स्कूल अथवा चर्च
में प्रभु यीशु मसीह का प्रतिमा की स्थापना जरू करा दें। अपने पिता की अंतिम
इच्छा पूर्ण करना हर व्यक्ति का फर्ज भी होता है और कर्तव्य भी। मुकेश जैन और
उनके परिवार ने शुक्रवार को सेंट मैरी स्कूल में प्रभु यीशु मसीह की प्रतिमा
की स्थापना कराकर न सिर्फ अपने पिता की इच्छा पूर्ण की, बल्कि उनकी समाजसेवी
होने की मिसाल प्रस्तुत की। कैंट स्थित सेंट मैरी स्कूल में प्रभु यीशु मसीह
की सीक्रेट हार्ट मूर्ति अनावरण कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम स्कूली
बच्चों ने मुख्य अतिथियों को पौधे भेंटकर किया। इसके बाद विशेष प्रेयर की गई।
इस दौरान स्कूल के स्टाफ और समाजसेवी रालोद नेता मुकेश जैन के पुत्र प्रतीक
जैन ने प्रभु यीशु मसीह की प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्प अर्पित किए।
इस
दौरान स्कूल के प्रबंधक और फादर चिनमन ने भी मूर्ति के अनावरण में मुख्य
भूमिका निभाते हुए विशेष प्रार्थना की और सभी को मिलजुल कर रहने की बात कही।
इस अवसर पर एक्स मेरठ एसोसिएशन के सदस्य एनुददीन शाह ने बताया कि समाजसेवी
मुकेश जैन और रालोद नेता प्रतीक जैन के सहयोग से ही प्रभु यीशु मसीह की
प्रतिमा स्कूल परिसर में स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि आज जहां देश में
मतभेद और नफ़रत फैली हुई है, ऐसे में मुकेश जैन ने प्रभु यीशु द्वारा दिया
गया शांति का संदेश जन-जन पहुंचाने की सराहनीय कोशिश की है। गौरतलब है स्व.
प्रेमचंद जैन बिना किसी लाइमलाइट के समाजसेवा करते थे। उनके द्वारा अनेक
मंदिरों, मस्जिदों, गुरूद्वारों और जैन मंदिरों के निर्माण में आर्थिक सहयोग
किया जाता रहा है। प्रभु यीशु मसीह की प्रतिमा लगवाना भी उन्हीं की इच्छा थी,
जिसे उनके पुत्र मुकेश जैन ने आज पूर्णकिया। मुकेश जैन के बड़े भाई राकेश
जैन, उत्कर्ष जैन, चिन्मय जैन व परिवार के अन्य सदस्यों का भी सहयोग रहा।